Tuesday 6 November 2012

tanhaai

Pre-script:  Here goes my first poem in Hindi.. :) :)

तू क्या जाने मेरी कहानी ,
    चादर ओढे लेटी  वो तन्हाई ,
गले लगाने को बेकरार हो जैसे ,
    झाँकती तो कभी पुकारती वो पल पल ,
कह रही हो जैसे आजा मिटा दे ये हलचल,
    मेरी बाहों के घेरे में सिमट के ,
सारे गमों का इज़हार आज तू खुल के कर दे ,
    और बह लेने दे ये मोती बेशुमआर,
छट जाये शायद तेरी कुछ उदासी ,

तू क्या जाने मेरी कहानी ,

    चादर ओढे लेटी  वो तन्हाई ,
तमाम हसरतों को उड़ान दे रही हो जैसे ,
    हज़ारों उल्झनों  के जवाब देती जा रही न जाने कैसे ,
तांकती झाँकती कह रही वो बार बार ,
   डूब के तो देख एक बार इस दरिया में ,  
तू पहुँच जायेगा हर मुश्किल के उस पार