शब्द तो तन्हाई भी बोलती है ,
दिल की गहराइयों में एक घर है जो,
उसमे खामोश कविताएं रचती है
जब घर भर जाए, कोई नज़र ना आए
तब आँखों में झलकती है
ओठों पर वो सिसकती गिरती है
उन ओठों से आज उसको पी ले तू
प्यासी पंक्तियों का आज मेघ बन जा तू
रूह पे आज सुकूं बन बरस जा तू
तनहा दिल की तन्हाई आज फना कर दे तू।