Friday, 16 September 2016

तन्हाई

 




शब्द तो तन्हाई भी बोलती है ,
दिल की गहराइयों में एक घर है जो,
उसमे खामोश कविताएं रचती है 

जब घर भर जाए, कोई नज़र ना आए 
तब आँखों में  झलकती है 
ओठों पर वो सिसकती गिरती है 

उन ओठों से आज उसको पी ले तू 
प्यासी पंक्तियों का आज मेघ बन जा तू 
रूह पे आज सुकूं बन बरस जा तू 

तनहा दिल  की तन्हाई आज फना कर दे तू।